हमारे आज के मसीहाओं पर ,हम जिन्हे हमारे भविष्य की कमान देते है जान ले !!!!
वो जो सो गया इंसान उसे उठाने का समय है
टुकड़े टुकड़े हुआ इंसान, कतरा कतरा जिंदगी
अब उनही टुकड़े को सिलाने का समय है……..
बरसो से जलती आग से, धुआं हुआ सीना
अब उस धधकती आग को बुझाने का समय है………
रगों में जमा खून ,बर्फ सी ये जिंदगी
अब उस जमे हुए खून को बहाने का समय है………
समझा था जिन्हें दोस्त ,निकले आस्तीन के सांप
अब उन्ही सांपो को भगाने का समय है………
ना पूछ हमसे दिल के ,ज़ख्मों का सबब तू
तुम हो नहीं मसीहा सुनाने का समय है…….
रखा था जिन्हें मन्दिर ,में देवता समझ कर
अब हम विसर्जित कर देंगे बताने का समय है……