नाकारा को काज मिले
और काबिल बना बिचारा
यौग्यता के मुँह पर कैसा
थप्पड़ पड़ा करारा
खच्चरों की भीड़ में भैया
घोड़ो का क्या काम
रखे बगल में छुरी हमेशा
मुह में राम ही राम
कथनी इनकी कुछ और है
करनी की नहीं बात
वोट बैंक की खतिर देखो
लगी हुई है घात
हाहाकार मचा है भैया
कैसा कलयुग आया
पेड़ लगाया किसी और ने
फल किसी ने खाया
यहाँ से देखो वहां से देखो
सभी और घोटाले
गंगा मैया की जय करके
सभी पाप धो डाले
अभिनेता बन गए नेता
और नेता बने अभिनेता
कहना बहुत कठिन है भैया
कौन बने विजेता
टोपी बेचने वाले देखो
बन गए आज अमीर
हड्डी के टुकड़ों की खातिर
बिकता आज ज़मीर
कह गए कबीरदास थे भैया
उल्टी पुलटी वाणी
कम्बल अब से बरसेगा
…………….
………….
……..
…
.
और…………!!!
भीगेगा अब पानी