वेद कहतें है:
“अहम् ब्रह्मस्य” यानी मुझमे ब्रह्म है
“तवं तत् असि” यानी तुझमे ब्रह्म है
जब ब्रह्म मुझमे और ब्रह्म आपमें तो ब्रह्माण्ड आपके और मेरे बीच कहीं है,लेकिन हम ढूढंते कहाँ कहाँ है?
मंदिर में! मस्जिद में! पीर मजार बाबा में !
किसे ?जो यत्र तत्र सर्वत्र है।