थक गए माफ़ी देते,
दोस्ती का वादा करते
वो दगाबाज़ था,दगा ही किया
चलो उसकी तबीयत अब खराब करते है
आओ चलो इंक़लाब करते हैं…
…
मौके पर मौक़ा दिया
गिरते को कन्धा दिया
काफ़िर हम नहीं, वो था
चलो उसकी गलियां सुनसान करते हैं
आओ चलो इंक़लाब करते हैँ
…
बहुत समझाया उसे
पर उसने एक ना मानी
पाकर खैरात उसका खून हुआ पानी
चलो अगला पिछला सब हिसाब करते हैं
आओ चलो इंक़लाब करते हैं
…
हमने भेजे फूल उसे
उसने पत्थर ही मारे
मासूमो के खून से पन्ने रंग डाले
आज उसके खून से धरती लाल करते है
आओ चलो इंक़लाब करते हैं।
***वन्दे मातरम्***