हिंदू कोई धर्म ही नहीं एक सोच भी है ,और जिस किसी की भी सोच अच्छी है वही सही मायने में हिंदू है ,हिंदू ना छोटा है ना बड़ा है हर सच्ची सोच रखने वाला अपने को हिंदू कह सकता है चाहे वो किसी भी जाति या धर्म का हो.
सबसे ज़्यादा दया अगर किसी सोच में है तो वो हिंदू ही है ,वो हिंदू ही है जो चिटियों को भी जीव समझता है और खाना डालता है पंछियों को पानी और खाना देता है
जो लोग हिंदुओ के करोड़ों देवी देवताओं के पूजे जाने का उपहास करते हैं उन्हें ये नहीं मालूम की एक हिंदू ही जानता है की इश्वेर दुनिया के कण कण में विध्यमान है और की बनाई इस सृष्टि का हम सम्मान करते हैं इसी नाते हम हर जीव, हर एक कण में छुपे हुए इश्वेर का सम्मान करते हैं।हमें मालूम है की इश्वेर हर जीव और निर्जीव में विध्यमान है , कुछ सौ साल पहले जब विज्ञान ने अणु परमाणु की परिभाषा बताई तो ये सिद्ध हो गया की इस पृथ्वी पर हर तत्व में ऊर्जा है चाहे सजीव हो या निर्जीव ।लेकिन यही बात हमारे शास्त्रों ने हज़ारों साल पहले इश्वेर के हर कण में होने की परिभाषा के रूप में कह दी थी
जितनी क्षमा या उदारता हिंदू धर्म में है वो कहीं और देखने को नहीं मिलती ,ये वो धर्म है जो शत्रु को भी सुधरने का अवसर देता है, हम साँप जैसे विशैले जीव को भी सम्मान देते हैं , हर पशु पक्षी के किसी ने किसी भगवान का वाहन मानते है और अप्रत्यक्ष में उसे भी पूजते हैं।
ये हमारी लोक कथाएँ है जो बताती है की कैसे ऋषि ने अपने को बारबार डंक मारने वाले बिच्छु की भी जान बचायी । यही धर्म है जहाँ अर्जुन अपने को धोखा देने वाले अपने कौरव भाइयों पर तीर चलाने से विचलित हो चला यही धर्म है जहाँ श्री क्रिशन ने राजा होते हुए भी भूमि पर बैठ सुदामा के पैर धोये।
हिंदू धर्म को सिर्फ़ माना नहीं जा सकता ,उसे समझना भी पड़ता है, उसमें जिस आत्मा के ज्ञान की व्य्ख्या की है उसे कोई और धर्म नहीं समझा सकता है, सिर्फ़ यही धर्म है जहाँ धर्म ही कर्मों के फल की व्य्ख्या करता है ।
हिंदू धर्म को जानने या मानने के लिए धर्म में परिवर्तन की ज़रूरत नहीं ,जो भी मनुष्य वेदों के बताए पथ पर चले, सत्य का पालन करे, अपने कर्तव्यों के पूर्ण करे, मनुष्य मात्र से प्रेम करे , वो हिंदू हो सकता है।इसका लचीलापन ही इसकी ख़ूबसूरती है।
सनातन धर्म एक जीवन शैली है मात्र उपदेश नहीं !!!!!
बहुत बढ़िया लेख रूचि जी, मन प्रसन्न हो गया आपका ये लेख पढ़ कर, वेदों में ये स्पष्ट रूप से कहा गया है, के मानव कल्याण ही सर्वोपरि है, आप किसी भी धर्म से सम्बन्ध रखते हो यदि वेद अनुसार जीवन पद्धति अपनाते है तो सृष्टि में शांति और सौहार्द बना रहेगा, बहुत बढ़िया रूचि जी,
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बहुत बहुत आभार I appreciate your encouraging comments
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आभार पढ़ने व पसंद करने कर लिए
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