अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब समझना बड़ा मुश्किल होता जा रहा है
यदि आरक्षण का विरोध करो तो आपको दलित विरोधी समझा जाता है!
यदि पाकिस्तान का विरोध करो तो मुस्लिम विरोधी समझ जाता है!
गद्दारों का विरोध करो तो कांग्रेस विरोधी समझा जाता है!
GST व नोटबंदी पर बोल दो तो BJP विरोधी समझा जाता है!
कुरीतियों का विरोध करो तो धर्म विरोधी समझा जाता है!
पुरानी पीढ़ी का विरोध करो तो संस्कार विरोधी समझा जाता है!
नई पीढ़ी का विरोध करो तो नए युग का विरोधी समझा जाता है!
सास का पक्ष लो तो बहू विरोधी समझा जाता है!
बहू का साथ दो तो सास विरोधी समझा जाता हूं!
पत्थर मारने वालों का विरोध करो तो कश्मीर विरोधी समझा जाता है!
देश विरोधी पत्रकारों व TV एंकर का विरोध करो तो आपको सेक्युलर विरोधी समझा जाता है!
बाबाओं के विरोध करो तो अधर्मी समझा जाता है!
सफेदपोशों का विरोध करो तो समाज विरोधी समझा जाता है!
चमचों का विरोध करो तो नेता विरोधी समझा जाता है!
सिस्टम की खामियों का विरोध करो तो संविधान विरोधी समझा जाता है!
कुछ भी बोलो ,कुछ भी लिखो लोग कहीं ना कहीं आपकी गर्दन मरोड़ने को तैयार खड़े रहते हैं!
हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है!!
क्या करें ? बोलें की ना बोलें?